उपन्यास >> कैलंडर सूं बारै कैलंडर सूं बारैमोहन थानवी
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प्रस्तुत है राजस्थानी उपन्यास कैलंडर सूं बारै...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मोहन थानवी फगत राजस्थानी, सिन्धी और हिन्दी मांय उपन्यास ही नीं, नाटक,
कांणी, कवितावां अर विविध विधावां मांय कोई रचनावां पाठकां तांई पुगाई है।
कैलंडर सूं बारै अर इण सूं पैली इयारै लिख्योड़े उपन्यास खातर विद्वान
लेखक, साहित्यकारां रा दो आखर अठै राख रैया हां।
कैलंडर सूं बारै
अबै कोई कैंवतो रेवै,किरपाराम खोटो काम करियो। पण किरपाराम मेलोडी सागै
खुश है। मेलोडी भी अमेरिका में सगळा नै बता-बता थाकै कतोनी कै किरपाराम
राजस्थानी है। म्हारौ हसबैंड है। दोनूं जणा आज दिनूगै प्लेन सूं मुंबई
अ’र बठैऊं दिल्ली पूग्या है। किरपाराम अ’र मेलोडी री
जोड़ी नै देख’र इमीग्रेशन आव्ठा भारतीय ही नीं, बल्कि अमेरिकी
भी बियां रौ पासपोर्ट दो-दो बार चैक करियो। आंख्यां मसळ-मसळ बार-बार
देख्यो। साफ-साफ लिख्योड़ो हो, हसबैंड-वाइफ किरपाराम उमर 26, मेलोडी उमर
38 साल। किरपाराम चमड़े रो फूटरो बैग सांभ्योड़ो हो अ’र मेलोडे
एक छोटोड़ो ब्रीफकेस हाथ में झुलाय रैयी ही। अठै एयरपौर्ट माथै दोनां नै
कोई जाणै कोनी। मेलोडी नै इण बात री कोई परवाब भी कोनी पण किरपाराम री
इच्छा ही कै कोई तो मिलै जिको उण दोनां नै देख’र दांता बिचाळै
आंगळी घालै !
इच्छा सगळां री आप-आपरी होवै। सगळां री इच्छा हर बगत पूरी भी कोनी होवै। इण बात सूं किरपाराम खूब वाकिफ है। बो खुद म्हानै कैयो हो–थानमलजी, थै जाणो कोनी, मेलोडी बौत हुशियार है। खूब पढ्योड़ी है। डॉक्टरेट री डिग्री राखै पण घमंड बिलकुल कोनी। जणैई तो म्हारी अ’र मेलोडी री इच्छा पूरी होय सकी। किरपाराम अ’र में मुंबई में टकराया हा। मैं दुबई सूं बोईंग प्लेन में आयो हो अ’र अमेरिका सूं बीं प्लेन में ही किरपाराम संग मेलोडी जात्रा करता आया हा।
थानमलजी, म्हारौ इण बातां सूं कांई लेणो-देणों ! थाणेदार सुल्तानसिंह थानमल नै बातां मांय टाइम खराब करतो देख’र टोक दिये। थानमल ऐक’र तो सुल्तानसिंह नै रीस सूं देख्यो, फेर कुछ सोच’र कैयो–थाणेदार सा’ब, मैं खूब परेसान हूं। म्हारो सामान गुम्योड़ो है। ओ लेओ, हूं घरां सूं ओ कागद लिख’र लायो हूं। थै म्हारी रिपोर्ट दर्ज करो अ’र म्हारो सामान म्हानै ढूंढ’र दिरावो।
थाणेदार सुल्तानसिंह आज दिनूनै ही इस तरहां रो केस सामने देख’र परेसान होयो पण आपरी ड्यूटी माथै ईमानदारी सूं काम करणियो हो, इण वास्ते बो थानमल रै हाथ सूं चार-पांच पानां में लिख्योड़ी रिपोर्ट ले’र बांचण लाग्यो।
थानमल आपरी रिपोर्ट में सरुआती बात किरपाराम संग मेलोडी सूं करी ही अ’र आगे लिख्यो–साधारण तीन बाई तीन सींटा मायं सूं ऐक कूणा आली सीट म्हारै वास्ते ही। बिचाळै किरपाराम बैठ्यो हो। दुबई सूं मुंबई तांईं म्हारी किरपाराम सूं कोई बात कोनी होई क्यूंकि किरपाराम मेलोडी रै सागै पैली तो ड्यूटी फ्री शॉप सूं काफी खरीदारी वास्तै गयोडो हो, प्लेन आकास में पूग्यां बाद मैं सूय गयो हो। मुंबई सूं दिल्ली बिचाळै किरपाराम म्हांसू हथाई सरू करी। हां, बात री सरुआत बो ई करी ही। म्हारी इच्छा ऐक नींद रो झोंको और लेवण री ही पण इच्छा हर बखत तो पूरी होवै कोनी। म्हारी झपकी लेवंण री इच्छा किरपाराम री बातचीत सूं अधरी रै गई।
किरपाराम म्हासूं पैली तो जाण-पिछाण खातर बातचीत करी। जद बींनै ठा लाग्यो कै मैं श्रीडूंगरगढ़ रो रैवासी हूं तो घणो राजी होयो। श्रीडूरंगरगढ़ सूं आपरो नातो-रिस्तो बतांवतो बो थाक्यो कोनी पण म्हारी समझ में इत्तोई आयो, श्रीडूरंगरगढ़ में किरपाराम री नानी री ऐक बहिन रैया करै। किरपाराम री इच्छा बींसूं मिलण री घणी है पण बचपन सूं अजै तांईं मिल कोनी सक्यो है। इणी बात माथै बो म्हानै इच्छा अधूरी रैणै अ’र इच्छानुसार कारज पूरा होवण रा घणाई किस्सा बताया।
साची बात तो आ है कै मैं दुबई सूं थाक्योड़ो ही प्लेन में बैठ्यो हो अ’र झपकी लै’र ताजगी री तलास में हो। झपकी री इच्छा तो पूरी होई कोनी, किरपाराम री बातां सूं ताजगी भरपूर मिलगी। झपकी री इच्छा सूं घणी बड़ी इच्छा पूरी होयगी। किरपाराम घंटा-दो घंटा आकाश में ई म्हानै आपरै बारे में घणो-कुछ बता दियो। मेलोडी भी म्हासूं रामा-सामा करी। आपरी थिसिस री जाणकारी दी। म्हानै खुशी होई।
खुशी इण वास्ते कै मेलोडी मरुधरा रै नूवोंगढ़ में राठी नस्ल रै गोवंस पर सोध करियो है, हाल कर भी रैयी है। सागै अचरज इण बात रो होयो कै किरपाराम उण रो बींद है। मेलोडी ही तो अड़तीस साल री पण तीसेक री लाग रैयी ही। किरपाराम गबरू है, गबरू लागै भी है, बो 26 साल रो है, आज बात खुद मेलोडी कैयी।
इत्ती बातां प्लेन में होयी ही। इण बखत दिल्ली एयरपोर्ट रै हॉल में म्हैं तीन लोगां रै अलावा आठ-दस आदमी और हा। लुगाई फकत मेलोडी ही, विदेशी है इण वास्ते सगळा री आख्यां में बा समायोड़ी ही। किरपाराम या मेलोडी नै भान कोनी हो कै लोग मियानै घूर रैया है, हां मैं जरूर आ बात जाणग्यो क्यूंकि प्लेन सूं उतर्यां बाद चैक-इन काउंटर माथै तीनो-चारों ड्यूटी आफिसर जद अचरज सूं मेलोडी अ’र किरपाराम रो पासपोर्ट देख्यो तो म्हानै भी उत्सुकता होई।
आफिसर री नजर सूं जद मैं मेलोडी नै देख्यो तो फेर किरपाराम नै बीरै बींद रै रूप में फेरूं देखण नै मजबूर होयो। दोनां री उमर रो फर्क तो देख्यां सूं लग कोनी रैयो हो पण किरपाराम सूट-बूट में भी हो तो भारतीय, खास राजस्थानी। मेलोडी राजस्थानी ओढणो-चूनड़ी में खूबसूरत लाग रैयी ही पण ही तो विदेशी, खास अंग्रेज, अमेरिकी।
म्हानै जाणो है श्रीडूंगरगढ़ अ’र किरपाराम संग मेलोडी जयपुर जासी। काल रात दो बजी प्लैन दुबई सूं उड्यो, मुंबई सूं दिल्ली दिनूगे सात बजी सूं पैली पूगग्यो। दोपहर रा साढ़ी ग्यारह सूं ऊपर होयोड़ा हा। दस बजी तांईं तो जात्रियां रै सामान री चैकिंग सख्ती सूं होंवती रैयी ही। मेलोडी अ’र किरपाराम सामान ज्यादा होवण रा कित्ताई कारण बताया पण आफिसरां बयांसू दस हजार रुपियां री रसीद कटवायां बाद ही सामान ओके करियो। म्हारो सामान भी 20 किलो सूं घणो हो। कुल 65 किलो सामान देख’र सगळा आफिसर म्हारै चारों खानी भेळा होयग्या। मैं इण स्थिति सूं अणजाण कोनी हूं, सो घबराओ कोनी अ’र आराम सूं ऐक कुर्सी माथै बैठग्यो। ऐक आफिसर म्हारो पासपोर्ट-टिकट चैक करियो। सामान ज्यादा होवण री वजह सूं दुबई एयरपोर्ट पर म्हारी दो सौ द्रहाम री रसीद भी मैं बियानै दिखाई। इण रै बावजूद सगळा जणा म्हारो सामान खुलवा’र चैक करण री जिद माथै आयग्या। म्हारी परेसानी आ ही कै सामान खोल्यां बाद वापस पै कुण करसी !
विदेश जातरा सो सुपनो फूठरो होवै। तियारियां भी खूब करणी पड़ै। कागजी कार्यवाही पूरी राखणी भी जरूरी है क्यूंकै आपराधिक प्रवृत्ति रै लोगां रो कोई भरोसो कोनी होवै। आपराधिक मामलां नै छोड़ देवा तो भी प्लेन में कित्तई जणा जात्रा करै अ’र हरेक जात्री बेशुमार सामान सागै लेवेला तो प्लेन वजन ज्यादा होयां सूं आकास में उडेला किंया। मैं सामान खुल्यां बाद बींनै वापस किंया समेट सकूंलो, मैं ईं. चिंता में ही दुबव्ठो होय रैयो हो। म्हारी परेसानी री कोई ठोड़ कोनी निकली अ’र नियम-कायदा जीतग्या। आफिसर लोगां म्हारै सामान री ऐसी-तैसी कर दी। घरेलू सामान सागै कुछ गहणा अ’र टेप-टीवी-कम्प्यूटर खिंडाय दिया। कपड़ां रो ढेर देख’र म्हारै कळजो बळण लाग्यो।
इच्छा सगळां री आप-आपरी होवै। सगळां री इच्छा हर बगत पूरी भी कोनी होवै। इण बात सूं किरपाराम खूब वाकिफ है। बो खुद म्हानै कैयो हो–थानमलजी, थै जाणो कोनी, मेलोडी बौत हुशियार है। खूब पढ्योड़ी है। डॉक्टरेट री डिग्री राखै पण घमंड बिलकुल कोनी। जणैई तो म्हारी अ’र मेलोडी री इच्छा पूरी होय सकी। किरपाराम अ’र में मुंबई में टकराया हा। मैं दुबई सूं बोईंग प्लेन में आयो हो अ’र अमेरिका सूं बीं प्लेन में ही किरपाराम संग मेलोडी जात्रा करता आया हा।
थानमलजी, म्हारौ इण बातां सूं कांई लेणो-देणों ! थाणेदार सुल्तानसिंह थानमल नै बातां मांय टाइम खराब करतो देख’र टोक दिये। थानमल ऐक’र तो सुल्तानसिंह नै रीस सूं देख्यो, फेर कुछ सोच’र कैयो–थाणेदार सा’ब, मैं खूब परेसान हूं। म्हारो सामान गुम्योड़ो है। ओ लेओ, हूं घरां सूं ओ कागद लिख’र लायो हूं। थै म्हारी रिपोर्ट दर्ज करो अ’र म्हारो सामान म्हानै ढूंढ’र दिरावो।
थाणेदार सुल्तानसिंह आज दिनूनै ही इस तरहां रो केस सामने देख’र परेसान होयो पण आपरी ड्यूटी माथै ईमानदारी सूं काम करणियो हो, इण वास्ते बो थानमल रै हाथ सूं चार-पांच पानां में लिख्योड़ी रिपोर्ट ले’र बांचण लाग्यो।
थानमल आपरी रिपोर्ट में सरुआती बात किरपाराम संग मेलोडी सूं करी ही अ’र आगे लिख्यो–साधारण तीन बाई तीन सींटा मायं सूं ऐक कूणा आली सीट म्हारै वास्ते ही। बिचाळै किरपाराम बैठ्यो हो। दुबई सूं मुंबई तांईं म्हारी किरपाराम सूं कोई बात कोनी होई क्यूंकि किरपाराम मेलोडी रै सागै पैली तो ड्यूटी फ्री शॉप सूं काफी खरीदारी वास्तै गयोडो हो, प्लेन आकास में पूग्यां बाद मैं सूय गयो हो। मुंबई सूं दिल्ली बिचाळै किरपाराम म्हांसू हथाई सरू करी। हां, बात री सरुआत बो ई करी ही। म्हारी इच्छा ऐक नींद रो झोंको और लेवण री ही पण इच्छा हर बखत तो पूरी होवै कोनी। म्हारी झपकी लेवंण री इच्छा किरपाराम री बातचीत सूं अधरी रै गई।
किरपाराम म्हासूं पैली तो जाण-पिछाण खातर बातचीत करी। जद बींनै ठा लाग्यो कै मैं श्रीडूंगरगढ़ रो रैवासी हूं तो घणो राजी होयो। श्रीडूरंगरगढ़ सूं आपरो नातो-रिस्तो बतांवतो बो थाक्यो कोनी पण म्हारी समझ में इत्तोई आयो, श्रीडूरंगरगढ़ में किरपाराम री नानी री ऐक बहिन रैया करै। किरपाराम री इच्छा बींसूं मिलण री घणी है पण बचपन सूं अजै तांईं मिल कोनी सक्यो है। इणी बात माथै बो म्हानै इच्छा अधूरी रैणै अ’र इच्छानुसार कारज पूरा होवण रा घणाई किस्सा बताया।
साची बात तो आ है कै मैं दुबई सूं थाक्योड़ो ही प्लेन में बैठ्यो हो अ’र झपकी लै’र ताजगी री तलास में हो। झपकी री इच्छा तो पूरी होई कोनी, किरपाराम री बातां सूं ताजगी भरपूर मिलगी। झपकी री इच्छा सूं घणी बड़ी इच्छा पूरी होयगी। किरपाराम घंटा-दो घंटा आकाश में ई म्हानै आपरै बारे में घणो-कुछ बता दियो। मेलोडी भी म्हासूं रामा-सामा करी। आपरी थिसिस री जाणकारी दी। म्हानै खुशी होई।
खुशी इण वास्ते कै मेलोडी मरुधरा रै नूवोंगढ़ में राठी नस्ल रै गोवंस पर सोध करियो है, हाल कर भी रैयी है। सागै अचरज इण बात रो होयो कै किरपाराम उण रो बींद है। मेलोडी ही तो अड़तीस साल री पण तीसेक री लाग रैयी ही। किरपाराम गबरू है, गबरू लागै भी है, बो 26 साल रो है, आज बात खुद मेलोडी कैयी।
इत्ती बातां प्लेन में होयी ही। इण बखत दिल्ली एयरपोर्ट रै हॉल में म्हैं तीन लोगां रै अलावा आठ-दस आदमी और हा। लुगाई फकत मेलोडी ही, विदेशी है इण वास्ते सगळा री आख्यां में बा समायोड़ी ही। किरपाराम या मेलोडी नै भान कोनी हो कै लोग मियानै घूर रैया है, हां मैं जरूर आ बात जाणग्यो क्यूंकि प्लेन सूं उतर्यां बाद चैक-इन काउंटर माथै तीनो-चारों ड्यूटी आफिसर जद अचरज सूं मेलोडी अ’र किरपाराम रो पासपोर्ट देख्यो तो म्हानै भी उत्सुकता होई।
आफिसर री नजर सूं जद मैं मेलोडी नै देख्यो तो फेर किरपाराम नै बीरै बींद रै रूप में फेरूं देखण नै मजबूर होयो। दोनां री उमर रो फर्क तो देख्यां सूं लग कोनी रैयो हो पण किरपाराम सूट-बूट में भी हो तो भारतीय, खास राजस्थानी। मेलोडी राजस्थानी ओढणो-चूनड़ी में खूबसूरत लाग रैयी ही पण ही तो विदेशी, खास अंग्रेज, अमेरिकी।
म्हानै जाणो है श्रीडूंगरगढ़ अ’र किरपाराम संग मेलोडी जयपुर जासी। काल रात दो बजी प्लैन दुबई सूं उड्यो, मुंबई सूं दिल्ली दिनूगे सात बजी सूं पैली पूगग्यो। दोपहर रा साढ़ी ग्यारह सूं ऊपर होयोड़ा हा। दस बजी तांईं तो जात्रियां रै सामान री चैकिंग सख्ती सूं होंवती रैयी ही। मेलोडी अ’र किरपाराम सामान ज्यादा होवण रा कित्ताई कारण बताया पण आफिसरां बयांसू दस हजार रुपियां री रसीद कटवायां बाद ही सामान ओके करियो। म्हारो सामान भी 20 किलो सूं घणो हो। कुल 65 किलो सामान देख’र सगळा आफिसर म्हारै चारों खानी भेळा होयग्या। मैं इण स्थिति सूं अणजाण कोनी हूं, सो घबराओ कोनी अ’र आराम सूं ऐक कुर्सी माथै बैठग्यो। ऐक आफिसर म्हारो पासपोर्ट-टिकट चैक करियो। सामान ज्यादा होवण री वजह सूं दुबई एयरपोर्ट पर म्हारी दो सौ द्रहाम री रसीद भी मैं बियानै दिखाई। इण रै बावजूद सगळा जणा म्हारो सामान खुलवा’र चैक करण री जिद माथै आयग्या। म्हारी परेसानी आ ही कै सामान खोल्यां बाद वापस पै कुण करसी !
विदेश जातरा सो सुपनो फूठरो होवै। तियारियां भी खूब करणी पड़ै। कागजी कार्यवाही पूरी राखणी भी जरूरी है क्यूंकै आपराधिक प्रवृत्ति रै लोगां रो कोई भरोसो कोनी होवै। आपराधिक मामलां नै छोड़ देवा तो भी प्लेन में कित्तई जणा जात्रा करै अ’र हरेक जात्री बेशुमार सामान सागै लेवेला तो प्लेन वजन ज्यादा होयां सूं आकास में उडेला किंया। मैं सामान खुल्यां बाद बींनै वापस किंया समेट सकूंलो, मैं ईं. चिंता में ही दुबव्ठो होय रैयो हो। म्हारी परेसानी री कोई ठोड़ कोनी निकली अ’र नियम-कायदा जीतग्या। आफिसर लोगां म्हारै सामान री ऐसी-तैसी कर दी। घरेलू सामान सागै कुछ गहणा अ’र टेप-टीवी-कम्प्यूटर खिंडाय दिया। कपड़ां रो ढेर देख’र म्हारै कळजो बळण लाग्यो।
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